Book Title: Tattva Samucchaya
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 193
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७२ सागरोपम ( सागरोवम ) - उपमा माप १०-२२ सागार ( सायार ) - गृहस्थ धर्म ३--१ साता ( साय ) - वेदनीय कर्म का भेद १०-७ सात्यकिसुत ( सच्चइसुदो ) - ११ वां रुद्र १-५६ सादिनित्य ( साईणिच्च )- पर्यायार्थिक नय का भेद १५-२२ साधु ( साहु) - मं. १,३, ४,५ सानत्कुमार ( सणक्कुमार ) - ३ रा स्वर्ग - १-२०,२१ सामाचारि ( सामायारि ) - श्रावक के योग्य २-३ सामायिक ( सामाइय)- प्रथम शिक्षाव्रत २-३० __ -- तीसरी प्रति । ३--२ सासादन ( सासण ) .- दूसरा गुणस्थान ११.-६ सासादन सम्यक्त्व ( सासण ) १२--५८ सामुद्र नमक (सामुद्दे) - मुनि के लिये वर्ण्य ४-८ सावद्य (सावज्ज) - सदोष आचरण ३-२५ सांशयिक (संसायद) - मिथ्यात्व का भेद ११-४ स्कंध (खंध) - ९-२० स्त्री (इत्थि)- परीषह ८-१६,१७ - वेद १२-२१ स्तव (थओ) - द्वितीय आवश्यक ५-२४ स्तेनाहत (तेनाहड) -- अचौर्याणुव्रत का अतीचार २-१५ स्त्यानगृद्धी (थीणगिद्धी)- दर्शनावरण कर्म का भेद १०-५ स्थापना (द्ववण) - निक्षेप भेद १६-३-सत्य भेद १२-१५ स्थावर (थावर) - जीव भेद ९-९-काय भेद १२-६ स्थिति (ठिई) - कर्मों की उत्कृष्ट और जघन्य १०-१९ स्थितिकरण (ठिदियरण) - सम्यक्त्व का छठा अंग ३-५ स्थिति बंध (दिदि-) ९-२६ स्थिति-भोजन (ठिदिभोयण ) - मुनि का एक मूलगुण ५-३४ स्थूल (थूल) - पुद्गल-पर्याय ९-११ स्थूल ऋजु सूत्र (थूल रिउसुत्त) - ऋजुसूत्र नय का भेद १५-३३ स्थूल प्राणिवध विरमण (थूलगपाणिवहविरमण) - आहिंसाणुव्रत २-४ स्नान (सणाण) - मुनि के लिये वर्ण्य ४-२ स्पर्श ( फास) .- आठ प्रकार का ९-७ -- स्पर्शेन्द्रिय का विषय १२--५ स्पर्श निरोध ( फास-) ५-२१ स्मृत्यन्तर्धान ( सरअंतरद्ध) -- दिग्बत का अतीचार २-२२ क For Private And Personal Use Only

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