Book Title: Tattva Samucchaya
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 194
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar १७३ स्यात् अस्ति ( अस्थि) - स्यावाद का प्रथम भंग १४-९ स्यात् नास्ति ( णस्थि--) -- स्य द्वाद का दूसरा भंग १४-.९ स्यात् अस्ति नास्ति ( अस्थि णत्थि- ) -- स्याद्वाद का तीसरा भंग १४.-९ स्यात् अवक्तव्य ( अन्वत्तव्व ) -- स्याद्वाद का चौथा भंग १४--९ स्यात् अस्ति अवक्तव्य - स्याद्वाद का पांचवां भंग १४- १ स्यात् नास्ति अवक्तव्य - स्याद्वाद का छठा भंग १४-११ स्यात् अस्ति नास्ति अवक्तव्व - स्याद्वाद का सातवां भंग १४-११ स्यात् निरपेक्ष ( णिव्वेक्खा ) १४-५ स्यात् सापेक्ष ( सियसावेक्खा ) - १४-५ स्वकालमाप्त ( सकालपत्त) - निर्जरा विशेष ७-३५ स्वजाति असद्भूत ( सज्जाइ असम्भूय ) - नयभेद १५-४० स्वजाति उपचरित (सज्जाइ उपचरित णय) - उपचरित नय का भेद १५-४४ स्वदारमंत्र भेद ( सदारमंत मेय)- सत्याणुव्रत का अतिचार २-१३ स्वदार सन्तोष ( सदार संतोस ) - चौथा अणुव्रत २-१६ स्वद्रव्यादि ग्राहक ( सद्दव्वादि चउक्क ) - द्रव्यार्थिक नय का भेद १५-१९ स्वयम्भू ( सयंभू ) - तीसरे नागयण १-५३ स्वाति ( सादी) - नक्षत्र १-१७ सिद्ध - मं. १, ३, ४, ५ __ - जीव ९-२ __ - महावीर हुए १-६२ सिद्धस्वरूप ( सिद्धसरूव ) - सामायिक में ध्यान के योग्य विषय ३-२२ सिद्धार्थ (सिद्धत्थ ) - २४ वे तीर्थकर वर्धमान के पिता १-५७ सिंधु - हिमवान पर्वत से निकल कर पश्चिम की ओर बहने वाली नदी १-३५ सीमंकर -- ५ वे कुलकर व मनु पृ. ७ टि. सीमंधर -- ६ वे कुलकर व मनु पृ. ७ टि. सुदर्शन ( सुदंसणो) -- ५ वें बलदेव १--५२ सुधर्म ( सुधम्मो ) -- ३ रे बलदेव १.-५२ सुधर्म स्वामिन् (सुधम्मसामी)-- गौतम के निर्वाण दिनपर केवल-ज्ञानी हुए १--६५ सुपार्श्व ( सुपास ) -- ७ वें तीर्थकर १--४७ सुप्रतिष्ठ ( सुपइट)- ५ वें रुद्र १--५५ सुप्रभ ( सुप्पह)-- ४ थे बलदेव १--५२ For Private And Personal Use Only

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