Book Title: Tattva Samucchaya
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 179
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५८ पद्म ( पउम ) - ९ वें चक्रवर्ती १-५० - नवें बलदेव १-५२ ( पम्म) - लेश्या १२-५१ पद्मद्रह ( पउमदह ) -- हिमवान पर्वत का सरोवर जहां से गंगा सिंधु नदियां निकलती हैं १ -३४ पद्मप्रभ ( पउमत्त्पह ) - ६ ठे तीर्थंकर १-४७ प्रमादचरित (पमादायरिय )- अनर्थदण्ड का भेद २-२७ परजाति उपचरित नय ( इयर उपचरित नय) - उपचरित नय का भेद १५-४४ परजाति असद्भूत नय ( इयर असम्भूय ) - १५-४० परदार ( परयार ) - सातवां व्यसन ३-१० परदार परित्याग ( परदार-परिच्चा ) - चौथा ब्रह्मचर्याणुव्रत २-१६ परद्रव्यादिग्राहक नय (विवरिय ) - द्रव्यार्थिक नय का भेद १५-१९ परनिन्दा -- भाषा भेद ५-१२ परमभावग्राही नय ( परमभावगाही)- द्रव्यार्थिक नय का भेद १५-२० परमात्मा ( परमप)-११-२६ परयुवतिदर्शन ( परजुवइ-दसण)- अचौर्याणुव्रत का अतिचार २-१८ परविवाहकरण ( परवीवाहक्करण ) - ब्रह्मचर्याणुव्रत का अतिचार २-१७ परिग्रह-सचित्त अचित (पांचवां अणुव्रत ) इच्छापरिमाण दूसरा नाम २-१९ परिग्रह त्याग ( परिग्गह ) - नवमी प्रतिमा ३-२; ३-३३ परिनिवृत्त ( परिनिव्वुड) - सिद्ध ४-१५ परिभोगनिवृत्ति ( परिभोयणिवुत्ती ) - द्वितीय शिक्षावत; व्रत प्रतिमा का अंग परीषह ( परीसह ) - आर्तध्यान का भेद १३-७ परीषह जय ( परिसह जय)- ७-३० - भावसंवर का भेद - ९-२८ परोक्ष ज्ञान ( परोक्ख- ) - मति आदि ९-५ पर्यायार्थिक नय ( पजयत्य- ) - १५-५ । पाकर ( पायर ) - उदुम्बर विशेष - ३-९ पादत्राण ( पाणहा ) - मुनि के लिये वर्ण्य - ४-४ पाप ( पाव ) - ९-२०,३१ पापद्धिं ( पारद्धि ) - शिकार, पांचवां व्यसन ३-१० पापोपदेश ( पावोवएस ) - अनर्थदण्ड का भेद २-२७ For Private And Personal Use Only

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