Book Title: Tattva Samucchaya
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 182
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Ach फल - सचित्त, मुनि के लिए वर्ण्य ४-७ बड़ (वड)- उदुम्बर विशेष ३-९ बन्ध (बंध) -ईयों समिति के होने पर हिंसानिमित्तक बंध का अभाव २-७ - अहिंसाणुवत का अतिचार २-९ - पुद्गल पर्याय ९-११ - बंध के भेद, भाव और कर्म ९-२५ - चार प्रकार ९-२६ बल - जीव लक्षण, प्राणभेद ९-३ बलदेव - नी शलाका पुरुष १-५२ बलि (बलि) - छठे प्रतिनारायण १-५४ बस्तिकर्म (वत्यीकम्म) - मुनि के लिए वर्ण्य ४-९ बीज ( बीय) - सचित्त, मुनि के लिए वर्ण्य ४-७ बोधि-दुर्लभ (बोहि-दुल्लह)-गावना ५-४ १ ब्रह्म (बम्ह) - पांचवां स्वर्ग १-२०,२१ । ब्रह्मदत्त (बम्हदत्त) - १२ वें चक्रवर्ती १-५० ब्रह्मचर्य (बंभवावार) - प्रोषधोपवास का भेद २-३४ (बम्ह) - सातवीं प्रतिमा ३-२ (ब्रह्मचेर) - अणु, व्रत प्रतिमा का अंग ३-१२ --सातवीं प्रतिमा ३-२१ --महाव्रत ५-८ --धर्माग ६-११ ब्रह्मा (बंभा) - भी कालवशवर्ती ७-९ ब्रह्मोत्तर (बम्हुत्तर)- छठा स्वर्ग १-२१ भक्तपानव्युच्छेद (भत्तपाणवुच्छेए) - अहिंसाणुव्रत का अतिचार २-९ भाक्ति (भत्ती)-सम्यक्त्व का छठा गुण ३-६ भरणी ( भरणी) - नक्षत्र १-१८ For Private And Personal Use Only

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