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वासुपूज्य (वासुपूज्जे) १२ वें तीर्थंकर १-४८
- कुमार काल में महाव्रत ग्रहण १-६०
विकथा ( विकहा ) - भाषा-भेद, मुनि को वर्ज्य ५-१२
चार प्रकार, प्रमाद भेद ११-१६
विग्रहगति ( विगहगदि ) - जन्मान्तर ग्रहण के लिये जीव का गमन १२-६.५
विजय (विजय) प्रथम बलदेव १-५२
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वंश राज्यकाल १५५ वर्ष १-७२
विजयन्त ( विजयंत ) - एक अनुत्तर विमान १-२५ विजयार्ध (विजयद्ध ) भरत क्षेत्र के मध्य में पर्वत १-३३
( वेयड्ढणग ) - गंगा व सिंधु नदियों द्वारा इस पर्वत ने भरत क्षेत्र के ६ खंड किये हैं १-३६
विदेह - जम्बूद्वीप का चौथा क्षेत्र १ - ३१ विनय ( विणय ) - मिथ्यात्व का भेद ११-४
विपरीत ( विवरीय ) - मिध्यात्व का भेद ११-४
विपाकविचय ( विवाग-विचय) - धर्मध्यान का भेद १३-१८
विभाव अनित्य ( - अणिच्च ) - पर्यायार्थिक नय का भेद १५-२६
विभ्रम (विब्भम) - ज्ञानदोष ९-३५
विमल ( विमल ) - १३ वें तीर्थकर १-४८
विमलवाहन ७ वें कुलकर व मनु पृ. ७ टि.
विमोह - ज्ञानदोष ९-३५
विरुद्धराज्य ( विरुद्धरजं ) - अचौर्याणुव्रत का अतिचार २-१५ विरेचन (विरेयण ) - मुनि के लिये वर्ज्य ४-९
विशाखा ( विसाहा ) - नक्षत्र १-१७
विष्णु ( विण्हू ) - नारायण, ९ शलाका पुरुष १-५३
वीर - महावीर, कुमार काल में महाव्रत लिये १-६०
वीर्य अन्तराय ( वीरिय, ) अन्तराय कर्म का मेद १०-१५
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वेद - पांचवीं मार्गणा १२-२
वेदक (वेदग ) - सम्यक्त्व का भेद, क्षयोपशमिक ११ - १०;१२-५६ वेदनीय (वेषणीय ) - कर्म दो प्रकार का १०- ७ वेश्या (वेसा) - चौथा व्यसन ३-१०
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