Book Title: Tattva Samucchaya
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharat Jain Mahamandal
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माल्य (मल्ल) - मुनि के लिये वय ४-२ माहेन्द्र (माहिंद) - चौथा स्वर्ग १-२०, २१ मांस (मंस)- तीसरा व्यसन ३-१० मिथ्यात्व (मिच्छत्त) - पांच प्रकार ९-२१
-दर्शन मोहनीय का भेद १०-९
- प्रथम गुणस्थान ११-४ मिथ्यादृष्टि (मिच्छाइट्ठी) - प्रथम गुणस्थानवी जीव ११-४; १२-६० मिश्र (मिस्स) - तीसरा गुणस्थान ११-७ मिश्रअसद्भूत नय (मिस्स असव्यूय) - नय भेद १५-४० मिश्र उपचरित नय (मिस्स उपचीरत नय)- उपचरित नय का भेद १५-४४ मुरुडवंश (मुरुदयवंस) - गज्य काल ४० वर्ष १-७२ मूर्छा ( मुच्छ ) - परिग्रह में आसक्ति ३-३४ मूर्तिक ( मुत्तो) - पुद्गल द्रव्य का लक्षण ९-१० मूल (मूल)- नक्षत्र १-१७ मूल - सचित्त, मुनि के लिये बय॑ ४-७ मूलगुण ( मूलगुण ) - मुनियों के अट्ठाईस ५-१ मृगशीर्षा ( मगसिर ) - नक्षत्र १-१६ मृषोपदेश ( मोसोबएसय ) - सल्याणुव्रत का अतिचार २-१३ सृषावाद ( मुसावाय ) - स्थूल,-विरति-दूसरा अणुव्रत २-११ मेघा ( मेघा ) - तीसरी पृथ्वी का गोत्र नाम १-९ मेरक ( मेरग )- ३ रे प्रतिनारायण १-५४ मैथुन ( मेहुण ) - नव प्रकार ३-२७ मोक्ष ( मोक्ख ) - सर्व-कर्म-निवृत्ति ९-३० मोहनीय ( मोहणिज्ज ) - कर्म, मूल भेद दो, उत्तर भेद अहाईस १०-८ मौखर्य ( मोहरिय) - अनर्थदण्ड-व्रत का अतिचार २-२९
यथाख्यात ( जहखाद ) - चारित्र्य-भेद ११-२३ यशस्वी - ९ वे कुलकर व मनु पृ० ७ टि. याचना-परीषह ८-२८,२९ याचनिका ( याचणिया )-असत्यमृषा भाषा का भेद १२-१८
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