Book Title: Tarangvati
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan

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Page 14
________________ तरंगवती कोसला नाम की एक लोकविख्यात नगरी थी - मानो धरती पर उतर आया कोई देवलोक ! क्योकि ब्राह्मण, श्रमण, अतिथि एवं देव यहाँ पूजे जाते थे, अतः देव प्रसन्न होकर यहाँ के कुटुंबों में अमाप धनवर्षा करते.थे। उस नगरी के निवासी, गुणों से परिमदित श्रमण पादलिप्त की बुद्धि का यह साहस आप, एकाग्र एवं अनन्य चित्त हो, मन से सावधान हो कर सुनिए । बुद्धि दूषित जब न हो तब यह प्राकृत काव्यरूप में रची गई धर्मकथा सुनिए । कल्याणकारी धर्मकथा का श्रवण जो कोई भी करता है वह यमलोक के दर्शन से बच जाता है। कथापीठ मगधदेश ... मगध नाम का देश । वहाँ के लोग समृद्ध । कई सारे गाँव और हजारों गोष्ठों से भरपूर । अनेक कथावार्ताओं में उस देश की भारी नामवरी थी। वह उत्सवों के आवास समान था । अन्य चक्रवर्तियों के आक्रमण से, चोर और अकालों से मुक्त था। सबविधि सुखसंपत्ति से भरपूर वह देश जगप्रसिद्ध था। राजगृहनगर राजगृह नाम का उसका पाटनगर प्रत्यक्ष अमरावती समान था । धरती पर के नगरों में राजगृह सिरमौर था। उसमें अनेक रमणीय उद्यान, वन और उपवन थे। कुणिक राजा - वहाँ के राजा का नाम कुणिक था। उसकी सेना विपुल और कोश सम्पन्न थे। वह शत्रुओं के जीवितकाल और मित्रों के लिए सुकाल था । उसने अपने पराक्रम से सभी दुश्मन सामंतों को पराजित किया और वशमें किया। उसने सभी प्रकार के अपराधों को फैलते रोक लिया। वह अपने कुल और वंश का आभूषण और शूरवीर था। तीर्थंकर भगवान महावीर जिनके राग-द्वेष लप्त हो गये हैं, उनके अनुशासन से उसे अनुराग था; जो शासन जरा और मृत्यु से मुक्ति दिलानेवाला था। नगरसेठ उन दिनों धनपाल नाम का वहाँ का नगरसेठ था, जो साक्षात् धन-पाल

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