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श्रमण/जुलाई-सितम्बर/१९९७ : ४४
(वि० सं० १२१७-१२३५) (वि०सं० १२३४) प्रद्युम्नसूरिसंतानीय
(वि०सं० १३३०-१३४९)
तालिका-५
जज्जगसूरि प्रद्युम्नसूरि जज्जगसूरि (प्रद्युम्नसूरि) (जज्जगसूरि) (प्रद्युम्नसूरि) जज्जगसूरि (प्रद्युम्नसूरि) जज्जगसूरि (प्रद्युम्नसूरि) (जज्जगसूरि) प्रद्युम्नसूरि (जज्जगसूरि) (प्रद्युम्नसूरि) जज्जगसूरि
(वि० सं० १३८७)
(वि० सं० १४८९-१५१७)
(वि० सं० १६६३)
चिन्तामणिपार्श्वनाथ जिनालय, सादड़ी (राजस्थान) में प्रतिष्ठापित पार्श्वनाथ की पंचतीर्थी प्रतिमा पर उत्कीर्ण वि० सं० १५०१/ई० स० १४४४ के लेख में हेमतिलकसूरि, वीरचन्द्रसूरि, जयाणंदसूरि तथा प्रतिष्ठाकर्ता मुनि तिलकसूरि के नाम अंकित हैं।
डॉ० अरविन्दकुमार सिंह ने इस लेख की वाचना दी है५, जो इस प्रकार है: १. संवत् १५०१ वर्षे श्रीपार्श्वनाथः (प्रतिमा ) स्थापित: २. ने (?) ने (न) डूलाई प्रासा [द] ++ न परिन ++ श्रावके ३. छे श्री हेमतिलक सूरितः । तत् पट्टे श्री वीरचन्द्र सू (रि) ++देम त. ४. [श्री] जयाणंद सूरि प्रतिष्ठित गछनायक
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