Book Title: Sramana 1997 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 123
________________ श्रमण/जुलाई-सितम्बर/ १९९७ : १२२ ह्रीं पूर्वरंग - समन्वित श्रीपरमागम समयसाराय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । प्रायः यही प्रक्रिया या पद्धति भिन्न मान्त्रिक पुष्पिकाओं के साथ “समयसार' की समग्र गाथाओं में अपनाई गई है । " समयसार' का अर्थ है सिद्धान्त का निचोड़ । 'विधान' के प्रस्तोता ने समस्त कृति की गाथाओं को कुल दस अधिकारों या प्रकरणों में वर्गीकृत किया है । अमृतचन्द्र के अनुसार कुल गाथाएं ४१५ हैं और पवैयाजी ने इसी संस्करण को स्वीकृत किया है । वर्गीकरण की प्रक्रिया इस प्रकार है: गाथा सं० १ से ३८ तक ३९ से ६८ तक : : ६९ से १४४ तक १४५ से १६३ तक : १६४ से १८० तक : १८१ से १९२ तक : १९३ से २३६ तक : २३७ से २८७ तक : २८८ से ३०६ तक : ३०८ से ४१५ तक : " "" "" ?? ?? ?? "" "" "" "" """" """""" " " """" " """" "" " " " "" : श्रीसर्वविशुद्धज्ञानाधिकार- पूजन परिशिष्ट के रूप में स्याद्वादाधिकार है, जिसमें जीवत्व, चिति, दृशि, ज्ञान, सुख, वीर्य, प्रभुत्व, विभुत्व, सर्वदर्शित्व, सर्वज्ञत्व आदि सैंतालीस शक्तियों के स्वरूप निरूपित हैं और सबसे अन्त में शान्ति पाठ तथा क्षमापना - पाठ है । छन्दः शास्त्र के मर्मज्ञ श्रीपवैयाजी ने पूजन और अर्घ्य के विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक सन्दर्भों की अवतारणा विविध छन्दों में आबद्ध भजनों और गीतों के माध्यम से की है । पवैयाजी द्वारा यथाप्रयुक्त छन्दों में मानव, ताटंक, रोला, दोहा, वीर, गीतिका, हरिगीता, विधाता, चान्द्रायण, तिलोकी चान्द्रायण, पंचचामर, जोगी रासा या रास आदि हैं । Jain Education International - अर्ध्यावलि श्रीपूर्वरंगाधिकार- पूजन श्री जीवाजीवाधिकार- पूजन श्री कर्त्ता - कर्माधिकार - पूजन श्री पुण्यपापाधिकार- पूजन लघुपीठिका श्री आस्रवाधिकार- पूजन लघु० अर्ध्या ० श्री संवराधिकार - पूजन श्री निर्जराधिकार - पूजन श्री बन्धाधिकार-प श्री मोक्षाधिकार पूजन -पूजन इस प्रकार इस ग्रन्थ में काव्योचित गुणों के समाहार की विलक्षण शक्ति के विस्मयकारी दर्शन होते हैं। कुल मिलाकर इस ग्रन्थ में काव्य, गीत, पूजा- पुरश्चरणविषयक कर्मकाण्ड, तान्त्रिक मन्त्रविधान, आचार, धर्म, दर्शन- चिन्तन आदि के समेकित अध्ययन एकत्रित रूप में सुलभ हुए हैं, और फिर, 'मंगलाष्टक' (संस्कृत), मंगलपंचक (संस्कृत), अभिषेक-पाठ, अभिषेक-स्तुति, पूजापीठिका, मंगलविधान, अर्घ्य, स्वस्तिमंगल, श्रीनित्यमहपूजन, जयमाला, अष्टक, महाअर्घ्य, श्री अष्टपाहुड, आशीर्वाद आदि शीर्षकों For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144