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श्रमण जुलाई-सितम्बर/१९९७
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Vidhatri Vora, Ed. Catalogue of Gujarati Manuscripts : Muni Shree Punya Vijayaji,s Collection, L.D. series No-71 Ahmedabad 1978 A.D, P.641. मुनि कांतिसागर, संपा० शत्रुजयवैभव, कुशल संस्थान, पुष्प१, जयपुर १९९० ई०, लेखांक २७३. संवत् १६१० वर्षे श्री बृहद्ब्रह्माणीयागच्छे भट्टारक श्री ५ श्री गुणसुन्दरसूरि शिष्य गणि नयकुंजर लषतं श्रीमोहणग्रामे फागुण वदि ५ शुक्रवासरे ।।
युगादिदेवस्तवनम् की प्रतिलेखनप्रशस्ति श्री अमृतलाल मगनलाल शाह, पूर्वोक्त, भाग २, पृष्ठ १०९. अरविन्द कुमार सिंह, “चिन्तामणि पार्श्वनाथ मंदिर का तीन जैन प्रतिमा लेख" Aspects of Jainology, Vol III, Ed. M. A. Dhaky and S.M. Jain, Varanasi 1991 A.D., P.P. 172-173. संवत् १४४६ वर्षे वैशाख वदि ११ बुधे ब्रह्माणगच्छीय भट्टारक श्रीमदनप्रभसूरि पट्टे श्रीविजयसेनसूरि पट्टे श्रीरलाकरसूरिपट्टेश्रीहेमतिलक सूरिभिः पूर्वं गुरु श्रेयार्थ रंगमंडप: कारापितः ।।, पूरनचन्द्र नाहर, जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ९६८ ।
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