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श्रमण/जुलाई-सितम्बर/१९९७ : ८४
साध्वी वंदन
स्मारक के इसी समारोह में, प्रतिष्ठा के तुरंत बाद हई धर्म सभा में मंच तथा पंडाल में बैठे हुए सभी ने पूज्य साध्वी सुब्रता श्री जी महाराज को, वंदन सहित खड़े होकर, काँबली स्वीकार करने की जब सादर विनती की तो कितने ही लोगों के भावाश्रु
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छलक पड़े थे । खड़े होने वालों में आदरणीय सेठ श्रेणिक भाई, श्री प्रताप भोगीलाल भाई, श्रद्धेय गार्डी जी, समाजरत्नद्वय श्री जे.आर. शाह व राजकुमार जैन, श्री शैलेश भाई, श्री मुलखराज जैन, जस्टिस बछावत तथा श्री सुन्दर लाल पटवा आदि गणमान्य शामिल थे । कई वर्ष पहले, एक बार स्वनामधन्य स्व. सेठ कस्तूरभाई लालभाई, महत्तरा साध्वी मृगावतीश्री के दर्शन करने बैंगलोर के उपाश्रय में आये तो ऊपर की मंजिल पर विराजमान साध्वी श्री जी को कहलवाया कि मैं सिढ़ियां नहीं चढ़ सकता। आप श्री कृपया नीचे पधारें । मुझे वंदना करनी है । सेठश्री जी के भावों की महानता स्तुत्य है।
स्वयं मुझे (लेखक को ) अहमदाबाद में मेरी एक आत्मीय गजराती बहन वहां एक विद्वान् साध्वी जी के दर्शनार्थ ले गयी । मैंने तीन खमासमण सहित वंदन किया और सुखसाता के बाद आधा घण्टा बातें की । चलने लगा तो पू. साध्वी जी ने कहा कि भाई
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