Book Title: Sramana 1997 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
View full book text
________________
७७ : श्रमण/जुलाई-सितम्बर/१९९७
الله
الله له سه
२१. छन्दोमञ्जरी-पृ० ४१ २२. वही, पृ०- ५७ २३. द्रुतविलम्बित -१-६०,६२ ३४. पृथ्वी - ६३, ६४ २५. वसन्ततिलक - ६५ २६. छन्दोमञ्जरी, पृ० ८५ २७. वसन्ततिलक - १-१४९ २८. शार्दूलविक्रीडित - १५० २९. अनुष्टुप् - १-९० ३०. उपजाति - ९१ ३१. हरिणी - ९२ ३२. छन्दोमञ्जरी, पृ०२४ ३३. वही, पृ० - ८८ ३४. स्वागता सं० १-१०९ ३५. रथोद्धता - ११० ३६. मालिनी - १११ ३७. शार्दूलविक्रीडित - ११२,११३ ३८. छन्दोमञ्जरी, पृ० ४२ ३९. वही, पृ०- ७२ ४०. प्रमिताक्षरा - १-१८५ ४१. वैश्वदेवी - १८६, १९०,१९२ ४२. शालिनी - १८७ ४३. वसन्ततिलक - १८८,१९१ ४४. स्वागता - १८९,१९३,१९६ ४५. रथोद्धता - १९४ ४६. शार्दूलविक्रीडित - १९५ ४७. मालिनी - १९७ ४८. छन्दोमञ्जरी - पृ०, ५१ ४९. पृ० - पृ०, ५० ५०. छन्दोमञ्जरी पृ०३८ ५१. सुन्दरी - श्लोक सं० १, ५, ६, ७, ८, ९, १०, १०१, १०२ ५२. भद्रविराट् -२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144