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इस कार्यकी सम्पन्नतामें हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपसे जिनका सहयोग मिला है उनका हम सादर अभिवादन करते हैं ।
ग्रंथके मैटर-सेटिंग और प्रूफ-रीडिंगमें श्रुतानुरागी श्री अशोकभाई जैनने अनन्य साथ दिया है अतः वे सचमुच धन्यवादके पात्र हैं ।
हमें विश्वास है कि पाठकगण इस श्रुतका शान्तिपूर्वक स्वाध्याय कर पारमार्थिक लाभ उठायेंगे एवं ग्रंथके प्रकाशन सम्पादनमें कहीं कोई त्रुटि रही हो तो उसका निर्देश करते हुए हमें क्षमा प्रदान करेंगे ।
-सम्पादक
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