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अनुक्रम
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१. जीवन और दर्शन २. दर्शन और बुद्धिवाद ३. बुद्धि और अनुभूति ४. समाज-व्यवस्था में दर्शन ५. मुक्ति : समाज के धरातल पर ६. जीवित धर्म : राष्ट्र धर्म ७. हिन्दू राष्ट्रीयता का प्रतिनिधि है, जाति और धर्म नहीं ८. एकता की समस्या ९. अहिंसा की प्रतिकारात्मक शक्ति १०. अहिंसा की मर्यादा ११. विश्व राज्य या सह-अस्तित्व १२. विश्व बंधुत्व के सूत्र १३. एशिया में जनतंत्र का भविष्य १४. लोकतंत्र और नागरिक अनुशासन १५. उणु-अस्त्र और मानवीय दृष्टिकोण १६. युद्ध और अहिंसा १७. समस्याएं, सरकार, अनशन और आत्मदाह १८. अहिंसा : शक्ति- संतुलन १९. अहिंसा के दो स्तर २०. अभय २१. जीवा के दो बिन्दु : नीति और अध्यात्म २२. सामाजक जीवन का आधार २३. चिन्तर का क्षितिज २४. एकता के प्रयत्न २५. पूज्य दी पूजा का व्यतिक्रम न हो २६. समीचीन बने धन के प्रति दृष्टिकोण २७. सापेक्षता के कोण २८. अध्यात्म की सुई : मानवता का धागा
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