Book Title: Samadhitantram Author(s): Devnandi Maharaj, Jugalkishor Mukhtar Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad View full book textPage 9
________________ १२ समाजितंत्र विषय संयोगकी ऐसी अवस्था में अन्तरात्मा क्या करता है बहिरात्मा और अन्तरात्माकी कौनसी दशा भ्रमरूप और कौन भ्रमरहित होती हूँ देहात्मदृष्टिका सकलशास्त्रपरिशान और जाग्रत रहता भो मुक्ति लिए निष्फल है सातात्माके सुप्तादि अवस्थाओं में भी स्वरूप संवेदन क्योंकर बना रहता हूँ चित्त कहाँ पर अनासक्त होता है मिन्नात्मस्वरूप ध्येयमें कीनताका फल अभिन्नात्माकी उपासनाका फल मिन्नाभिन्नस्वरूप आत्मभावनाका उपसंहार आत्मतत्त्वके विषयमें चार्वाक और सांख्यमतकी मान्यताओंका निरसन मरणरूप विनाशके हो जानेपर उतरकालमें आत्माका अस्तित्व कैसे बन सकता हूँ अनादि निधन आत्माको मुक्तिके लिए दुर्बर तपश्चरण द्वारा कष्ट उठाना व्यर्थ नहीं, नावश्यक है शरीरमात्मा सर्वथा भिन्न होने पर आत्माकी गति स्थितिसे शरीर को गतिस्थिति कैसे होती है शरीर-यंत्रोंकी आत्मामें आरोपना अनारोपना करके जड़fast जीव किस फलको प्राप्त होते हैं। ग्रन्थ का उपसंहार अन्तिम मंगलकामना श्लोक १२ १३ ९४ ९५ ९६ ९७ ९८ १९ १०० १०१ १०२ १०३ १०४ १०५ पृष्ठ Co s ૮૨ ረ ८३ ८४ ८५ ८६ ८७ ८९ ९० ९१ ९२ ९२ ९४Page Navigation
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