Book Title: Samadhitantram
Author(s): Devnandi Maharaj, Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ ४२ समाधितंत्र टीका — परत्र शरीरादी अहम्मतिरात्मवुद्धिर्वहिरात्मा स्वस्मादरिम स्वरूपात् । च्युतौ भ्रष्टः सन् । माति कर्मबन्धनबद्धं करोत्यात्मानं । असंशयं यथा भवति तथा नियमेन बनातीत्यर्थः । स्वस्मिन्नात्मस्वरूपे अहम्मतिः बुद्धोऽसरात्मा । परस्माच्छरीरादेः म्युत्वा पृथग्भूत्वा मुच्यते सकलकर्मबन्धरक्षितो भवति ॥४३॥ अब यह बतलाते हैं कि बहिरात्मा और अन्तरात्मामें कर्मबन्धनका कर्ता कौन है ? अन्वयार्थ - (परवाहम्मतिः) शरीरादिक परपदार्थोंमें जिसकी आत्मबुद्धि हो रही है ऐसा बहिरात्मा ( स्वस्मात् ) अपने आत्मस्वरूपसे ( च्युतः ) भ्रष्ट हुआ ( असंशयम् ) निःसन्देह ( बध्नाति ) अपनेको कर्म बन्धनसे बद्ध करता है और ( स्वस्मिन्नहम्मतिः ) अपने आत्मा के स्वरूपमें ही आत्मबुद्धि रखनेवाला ( बुधः ) अन्तरात्मा ( परस्मात् ) शरीरादिक परके सम्बन्धसे ( च्युत्वा ) च्युत होकर ( मुच्यते ) कर्म बन्धन से छूट जाता है । भावार्थ- बंघका कारण वास्तव में रागादिकभाव है और वह तभी बनता है जब आत्मा अपने स्वरूपका ठीक अनुभव नहीं करता - उसे भूल कर शरीरादिक पर-पदार्थों में आत्मबुद्धि धारण करता है । अन्तरात्मा चूंकि अपने आत्मस्वरूपका ज्ञाता होता है इससे वह अपने आत्मासे भिन्न दूसरे पदार्थों में आत्मबुद्धि धारण नहीं करता - फलतः उसकी परपदार्थोंमें कोई आसक्ति नहीं होती। इसीसे वह कर्मोके बंधनसे नहीं बँधता, किन्तु उससे छूट जाता है ।। ४३ ।। यत्राहम्मतिरात्मनो जाता तलेन कथमध्यवसोयते ? यत्र चान्तरात्मानस्वतेन कर्याभिस्माशंक्याह वृश्यमानमिवं मूढस्त्रिलिङ्गमवबुध्यते । इवमित्यवयवस्तु निष्पन्नं शब्दवजितम् ॥४४॥ टीका- गुरुयमानं शरीरादिकं । किं विशिष्टं ? जिलिङ्गं श्रीणि स्त्रीपुंनपुंसामानि कङ्गानि यस्य तत् दृश्यमानं त्रिलिङ्गं सत् । मूढो महिमा । इदमात्मतत्वं त्रिलिङ्गं मन्यते दृष्यमानादभेदाध्यवसायेन । यः पुनरववृद्धोऽन्तरात्मा स इदमात्मतत्त्वमित्येवं मन्यते । न पुनस्त्रिङ्कितया । तस्था: शरीरवतया मात्मस्वरूपत्वाभावातु । रूपम्मूतमिवमात्मस्वरूपं ! निष्पन्नमना विसंसिद्धम् सचा विकल्पामियानागोचरम् ॥४४॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105