Book Title: Rom Rom Ras Pije
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 22
________________ रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ [ ७ अभिव्यक्ति हृदय की हर अभिव्यक्ति जीवन का मौलिक सृजन है। अमृत-रक्त वह खून की बूद अमृत है, जो पानी बनने से पहले किसी के प्राण बचाने में सहायक बनी हो। अरहन्त मठ का महन्त होना हर किसी के लिए शक्य है, वह योगी है, जो जीवन का अरहन्त हो गया। अवसर अवसर हमारी सहकारिता की प्रतीक्षा नहीं करता। बुद्धिमान वह है, जो अवसर की प्रतीक्षा करता है और अवसर मिलते ही अपना लक्ष्य भेद डालता है। अविश्राम जब तक लक्ष्य के अन्तिम बिन्दु को न छू लो, तब तक विश्राम न लो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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