Book Title: Rom Rom Ras Pije
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 69
________________ रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ विश्व- मैत्री जगत् को मित्र की तरह देखने से ही विश्व - मंत्री का आदर्श स्थापित हो सकता है । ५४ ] विश्वासघात किसी के घर रोटी खाने के बावजूद उसके साथ विश्वासघात करना दुनिया का सबसे बड़ा पाप है । विस्मरण अतीत की दुखद घटनाओं का विस्मरण सुखद भविष्य की पहल है । अतीत और भविष्य का विस्मरण ध्यान में प्रवेश है । अतीत की स्मृति और भविष्य की कल्पना करना अपने हाथों स्वयं को जंजीर से जकड़ना है । बीती बातों को भूल जाना चित्त को तनाव से हल्का करने का प्रयास है। वीतरागता वीतरागता राग के विपरीत संस्कार नहीं है, अपितु राग-द्वेष की निःसारता का परिणाम है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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