Book Title: Rom Rom Ras Pije
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 94
________________ मैं कौन हं : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर अध्यात्म-पुरुष राजचन्द्र के अनुभव-गीतों की गहराइयों को उजागर करने वाले प्रवचनों का संकलन। पृष्ठ ६८,मूल्य ३/देह में देहातीत : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर प्रसिद्ध अध्यात्मवेत्ता आचार्य कुन्दकुन्द की टेढ़ी गाथाओं पर सीधा संवाद । विशिष्ट प्रवचन। पृष्ठ ७२,मूल्य ५/भगक्ता फैली सब ओर : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर आचार्य कुन्दकुन्द के अष्टपाहुड़ ग्रन्थ से ली गई आठ गाथाओं पर बड़ी मार्मिक उद्भावना । इसे तन्मयतापूर्वक पढ़ने से जीवन-क्रान्ति और चैतन्य-आरोहण बहुत कुछ सम्भव। पृष्ठ १००,मूल्य १०/सहज मिले अविनाशी : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर पतंजलि के प्रमुख योग-सूत्रों के आधार पर परमात्मा से सहज साक्षात्कार । पृष्ठ ९२, मूल्य १०/अंतर के पट खोल : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर पतंजलि के दस सूत्रों पर पुनर्प्रकाश; योग की एक अनूठी पुस्तक । पृष्ठ ११२, मूल्य १०/हंसा तो मोती चुगै : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर भगवान महावीर के कुछ अध्यात्म-सूत्रों पर सामयिक प्रवचन । पृष्ठ ८८,मूल्य १०/ कथा-कहानी सिलसिला : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर. कहानी-जगत की अनेक आजाद वारदातें, पशोपेश में पड़े इंसान के विकल्प को तलाशती दास्तान । बालमन, युवापीढ़ी,प्रौढ़ बुजुगों के अन्तर्मन को समान रूप से छूने वाली कहानियों का संकलन । पृष्ठ ११०,मूल्य १०/संसार में समाधि:महोपाध्याय ललितप्रभसागर समाधि के फूल संसार में कैसे खिल सकते हैं,सच्चे घटनाक्रमों के द्वारा उसी का सहज विन्यास । हर कौम के लिए शान्ति और समाधि का संदेश। पृष्ठ १२०,मूल्य १०/लोकप्रिय कहानियाँ: महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर जैन संस्कृति को उजागर करने वाली सुप्रसिद्ध कथा-कहानियों का सार-संक्षेप। सहज भाषा में जैनत्व की धड़कन । पृष्ठ ४८,मूल्य ३/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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