Book Title: Rom Rom Ras Pije
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 92
________________ ३ अमृत- संदेश : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर सद्गुरु श्री चन्द्रप्रभ के अमृत-संदेशों का सार-संकलन । पृष्ठ ५६, मूल्य ३/ प्याले में तूफान : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर इन्सानियत एवं समाज में आई कमियों की ओर इशारा, आम आदमी से लेकर सम्पूर्ण विश्व के दिल में भड़कते तूफान का बेबाक आकलन; सभी लेख स्तरीय और अनिवार्यतः पठनीय । पृष्ठ ९०, मूल्य १०/ पयुर्षण-प्रवचन: महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर पर्युषण महापर्व के प्रवचनों को घर-घर पहुंचाने के लिए एक प्यारा प्रकाशन ; भाषा सरल, प्रस्तुति मनोवैज्ञानिक । पढ़ें कल्पसूत्र को अपनी भाषा में । पृष्ठ १२०, मूल्य १०/ ध्यान: प्रयोग और परिणाम : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर ध्यान के विभिन्न पहलुओं पर जीवन्त विवेचन। भगवान महावीर की निजी साधना-पद्धति का स्पष्टीकरण । पृष्ठ ११२, मूल्य १०/ लाईट-टू-लाइट : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर ध्यान में अभिरुचिशील लोगों के लिए 'माइल-स्टॉन' । विश्व के दूर-दराज तक फैली ध्यान- पुस्तिका । पृष्ठ ९२, मूल्य १०/ द प्रिजविंग ऑफ लाइफ : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर मानव-चेतना के विकास के हर संभव पहलू पर प्रकाश । पृष्ठ १००, मूल्य १०/ मेडिटेशन एण्ड एनलाइटमेंट : चन्द्रप्रभ मन एवं मस्तिष्क के संतुलन से लेकर ध्यान और समाधि के विभिन्न पहलुओं पर मनन और विश्लेषण; विदेशों में भी अत्यधिक प्रसारित/स्वीकृत । पृष्ठ १०८, मूल्य १५/ आगम / शोध / कोश आयार- सुत्तं : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर एक आदर्श धर्म-ग्रन्थ का मूल एवं हिन्दी अनुवाद के साथ अभिनव प्रकाशन जो सद्विचार के सूत्रों में सदाचार का प्रवर्तन करता है। शुद्ध मूलानुगामी अनुवाद छात्रों के लिए विशेष उपयोगी । प्रन्थ का फैलाव सीमित, किन्तु प्रस्तुतिकरण सर्वोच्च । विज्ञान एवं चिन्तन के क्षेत्र में एक खोज । पृष्ठ २६०, मूल्य ३०/ सूयगड- सुत्तं : महोपाध्याय ललितप्रभसागर प्रसिद्ध धार्मिक- दार्शनिक आगम-ग्रन्थ सूत्रकृतांग का मूल एवं सशक्त अनुवाद । साथ ही प्रत्येक अध्ययन का चिन्तनपरक प्रास्ताविक । पृष्ठ १७६, मूल्य २०/ समवाय-सुतं : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागुर विश्वविद्यालय- पाठ्यक्रम के स्तर पर तैयार किया गया जैन आगम समवायांग का सीधा-सपाट मूलानुगामी अनुवाद । पृष्ठ ३१८, मूल्य ३०/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 90 91 92 93 94 95 96 97 98