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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
आत्म-स्वीकृति, तल्लीनता - ये ही साधना पथ के मील के पत्थर हैं ।
साधना-पथ
आत्म-अनुभूति और आत्म
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साधु
साधु वह है, जिसके जीवन में सद्गुणों का बाग सरसब्ज है ।
वह पुरुष साधु है, जो दूसरों पर आई हुई आपदाओं से पिघल जाता है ।
साधुता
साधुता जीवन की आभा है। किसी वेश - विशेष को धारण कर स्वयं को साधु कहना एक अलग बात है, किन्तु साधुता की रोशनी से जीवन को अभिमण्डित करना साधुता की आचरण में अभिव्यक्ति है।
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सामाजिक-धर्म
नदी स्नान से भेदभाव के समस्त पाप धोये जायें, मंत्रों से भ्रातृभाव का संकल्प जागृत करें और पर्वों से सामूहिक मंगलमयता का पथ प्रशस्त करें ।
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