________________
रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
[ ७१
सीख ___ वह सीख किस काम की जो व्यक्ति को क्रोधित कर दे।
सुख-वितरण सुख को फैलाने के लिए उसे जी-भरकर बांटों, दुःख स्वतः समाप्त हो जाएगा।
सेवा सेवा के लिए समर्पित हाथ उतने ही पवित्र हैं, जितने परमात्मा की प्रार्थना के लिए न्यौछावर होंठ ।
सोच
मन नहीं सोचता, अपितु सोचना ही मन है।
स्मति स्मृतियां विरह में साकार होती हैं, मिलन में नहीं।
स्मृति उपलब्धि में नहीं दूरी में है। पानी के लिए मछली पानी का वियोग होने पर ही तड़फ सकती है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org