Book Title: Rom Rom Ras Pije
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 66
________________ रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ [ ५१ रोशनी रोशनी अंधेरे में आ सकती है, पर अंधेरा रोशनी में नहीं जा सकता। रोशनी को अन्धेरे के हाथों बदनाम होने देना स्वयं के आत्म-सम्मान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लंघन स्वास्थ्य-लाभ के लिए जितना आहार का लंघन उपयोगी है, उतना ही कषायों का भी। लक्षित लिखित को नकारा जा सकता है, पर लक्षित को नहीं। लाभ लाभ की अधिकता लोभ को बढ़ोतरी है। अलाभ में लोभ का अस्तित्व कभी नहीं देखा जा सकता। वचन-वीर वे लोग समाज के लिए कलंक हैं, जो धर्म की ऊँची बातें करते हैं, पर स्वयं चरित्रहीन हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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