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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
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तपस्वी उपवास करने वाला व्यक्ति तो तपस्वी है ही, वे लोग भी तपस्वी हैं, जो ज्ञान-उपार्जन, परमात्म-सेवा एवं मानवता के सम्मान के लिए समर्पित हैं।
तृष्णा जो हो रहा है वह स्वभाव है। उसके अतिरिक्त की अाशा मन की तृष्णा है। प्राप्ति में तृप्ति ही तृष्णा से मुक्ति है।
तृष्णा-मुक्ति तृष्णा से अपने आपको मुक्त करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से उत्तम है, बल्कि जीवन की ऊर्जा को गलत रास्ते पर जाने से रोकना भी है।
त्याग छोड़कर भी कहाँ छोड़ पाया, अगर त्याग का अहं दिल में बसाये रखा।
दर्शन दर्शन जीवन का सम्पूर्ण विज्ञान है। यह आत्मा से लेकर सम्पूर्ण विश्व का प्रतिबिम्ब है। तर्क को दर्शन का आधार मानना वाकयुद्ध का प्रतीक है।
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