Book Title: Rom Rom Ras Pije
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 61
________________ ४६ ] रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ माता-पिता माता-पिता की उपेक्षा करने वाला विश्व के प्रथम तीर्थ की अवहेलना कर रहा है। मातृ-प्रेम माँ के हाथ का अगर जहर भी पीने को मिले, तो वह भी प्रेम से आपूरित होगा। मानवता मानवता विश्व की सबसे बेहतरीन नीति है। मानवता के मूल्यों से जीवन की समग्रता जोड़ना अपने कर कमलों से विश्व को अभिनन्दन-पत्र प्रदान करना है। अगर मानवता के मन्दिर ढह गये, तो परमात्मा कहाँ शरण लेगा। मानवीय समानता व्यक्ति को मानवीय समानता पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिये । पुरुष, स्त्री, वर्ग व वर्ण को लेकर किया जाने वाला भेद-भाव हमारी प्रांतरिक हीनता की अभिव्यक्ति है। मानसिक तप उपवास शारीरिक तप है, किन्तु बुरे विचारों से स्वयं को दूर रखना मानसिक तप है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98