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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
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आत्म-विश्वास
आने वाला कल उसकी मुट्ठी है, जो कुछ कर गुजरने के आत्म-विश्वास से लबालब भरा है ।
आदर्श
आदर्शों के निर्वाह का मूल्य समय के मूल्य से कहीं ज्यादा है ।
प्रान्तरिक मूल्य
हमें उन सिद्धान्तों का अमल करना चाहिये, जिनसे आन्तरिक मूल्यों की रक्षा की जा सके ।
आलोचना
आलोचना से मुक्त होने के लिए दूसरों की तो क्या अपनी भी आलोचना नहीं करनी चाहिये ।
आशा
आशा वह डोर है, जिसके सहारे मनुष्य जीता है । जो दूसरों से आशा रखते हैं, वे अपने पैरों में पराधीनता की बेड़िया डाल रहे हैं ।
निराशाओं की रद्दी संजोए रखने से आशा के रत्न हाथ नहीं लगते ।
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