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रोम रोम रस पीजे : ललितप्रभ
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ज्ञान-ज्योति ज्ञान-ज्योति को घर-घर में प्रज्वलित करना, परमात्मा के बनाये जाने वाले मन्दिरों से कम नहीं है।
ज्ञान-समाधि श्रुत के अध्ययन/मनन में तन्मयता एवं अतिशय रस की उद्रेकता, ज्ञान-समाधि है।
ज्ञानी वही ज्ञानी है, जिसने 'सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम्' की आन्तरिक झाँकी देखली है।
ज्योतिर्मयता उस दीप की ज्योतिर्मयता ही महान् कही जाएगी जो अपने साहचर्य से अगणित दीयों को ज्योतिर्मय करती है।
अच्छाइयों को कल पर टालने वाला बुराइयों से कभी मुक्त नहीं हो सकता।
टालना अच्छाइयों को कल पर टालने वाला बुराइयों से कभी मुक्त नहीं हो सकता।
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