Book Title: Ransinh Charitram Author(s): Somgani Muni Publisher: Somgani Muni View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री रणसिंह www.kobatirth.org श्रीमतो विजयपुरा — न्निःशेषो धार्मिको जनः । राजादि प्रमुखस्तीर्थ – यात्रा हेतोः समागमत् ॥ ५६ ॥ केचित्स्नात्रं पवित्रं च, सुगन्धिद्रव्य मिश्रितैः । शुद्धोदकैः प्रकुर्वन्ति, तैर्दत्तोऽधै जलाञ्जलिः ॥ ६० ॥ कर्पूरपूरमृगनाभिसुकुङ्कुमौघ, द्रव्यैर्विमिश्र मलयोद्भवचन्दनेन । बोभूयते किल जगद्गुरुचारुदेहे, कुर्वन् विलेपनमुदार जनो विलेपः ॥ ६१ ॥ कल्याणाम्बुजपारिजातकुसुमै रैकेतकीपल्लवैः रक्ताशोक गुलाल वेउललसङ्गाङ्गेय - जाति ब्रजैः ॥ चञ्चश्चम्पकमालतीभिरनिशं येऽभ्यर्चयन्ति प्रभुम् । साम्राज्यं जगतोऽनुभूय शिव मां भुञ्जन्ति ते मानवाः ।। ६२ ।। पष्टितंदुल लसत्कलमाह्वयैर्देव जीरगुरुड़ाख्य शालिभि । पुञ्जक त्रितयमीशितुः पुरो ये व्यधुः सुगति शोलिनस्तके ॥ ६६ ॥ पार्श्वनाथ पुरतो ननृतुर्य के हावभावनिवहैश्चतुराशयाः । अंगहारकरणावलि पूर्व, स्वर्गि सुन्दरिगणास्तदग्रतः ॥ ६४ ॥ For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ---------- चरित्रम् ॥ ७॥Page Navigation
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