Book Title: Ransinh Charitram
Author(s): Somgani Muni
Publisher: Somgani Muni

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Page 1
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो शब्द प्रस्तुत "रणसिंह चरित्र" नामक ग्रन्थमें दान, शील, तप और भावका सुचारुरूपसे प्रभावोत्पादक वर्णन है, जो आपके करकमलोंमें विद्यमान है। खरतरगच्छालङ्कार अनेक ज्ञानभण्डार संस्थापक श्रीजिनभद्रसूरिजीके शिष्य सिद्धान्तरुचि, उपाध्यायके शिष्य मुनिसोमगणिने प्रस्तुत प्रथका सं० १५४० में निर्माण किया है, इस ग्रंथके अवलोकनसे ही आपलोगोंकी स्वयं प्रन्थकार की अपूर्व विद्वत्ताका सुपरिचय मिल जायगा। ___ मूलग्रंथकी एक प्रति बीकानेरसे श्री अगरचन्दजी नाहटाने भेजी थी, उसीके आधारपर इस प्रन्थका सम्पादन किया गया है। प्रन्थ प्रकाशन कार्य कलकत्ता निवासी बाबू हीरालालजी खरडकी दी हुई आर्थिक सहायतासे हो रहा है, आशा है सज्जनगण वाचन श्रवव कर ज्ञानकी अभिवृद्धि करें। सं० २००४ पौ० शु० ११ कलकत्ता। मुनि मंगल सागर For Private and Personal Use Only

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