Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* अामेर भंडार के अन्य *
टीका सूत्र सिद्धांत सों कर्मकांड गुन गाय । जथा सकति कछु बरनयो बाल बोध हित लाय ।। ३ ।।
यह करम की परकति बखानत एकसो अठताल । तस मांहि बंध अवध वरनन कटत कर्म जंजाल ।। दलराम केवल वचन सरदहि सत्य करि परमान । सो भेद कर्म विनासि भवि जन लदत शिवपुर थान ।। १ ।।
अष्टम चक्रवर्ति कथा
भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २. साइज १०x४।। इञ्च । पद्य संख्या १६. उक्त कथा, 'कथा-कोश' में से ली गयी है। अष्ट सहस्त्री।
रचयिता श्री विद्यानन्दि । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या २०६. साइज ११४५ इञ्च । लिपि संवत् १६११ लिपि स्थान गिरिसोपा-दुर्ग ( कर्णाटक प्रान्त ) विपय-जैन न्याय । अष्टाध्यायी सूत्र ।
रचयिता प्राचार्य श्री पाणिनी । लिपी कर्ता श्री सूरि जगन्नाथ । पत्र संख्या ४६. साइज ११||४५ इश्च । लिपि संवत् १७००. विषय-व्याकरण ।
___ प्रति नं०२ पत्र संख्या ३६. साइज ११४५।। इञ्च । ।
अष्टावक्रा ..
.: .. . . रायता अज्ञात । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १. साइज ११४५।। इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर १४ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३८/४४ अक्षर । विषय-साहित्य । अष्टाह्निका कथा ।
रचयिता भहारक श्री सुरेन्द्र कीर्ति । भाषा संस्कृत । पत्र संख्या ५. साइज ११३५ इञ्छ । प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियों तथा प्रति पंक्ति पर ४७/५२ अक्षर । कथा के अन्त में कवि ने अपना परिचय दिया है। .
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