________________ * इसमें कोई सन्देह नहीं कि वर्धमान एवं पार्श्वनाथ से पूर्व भी जैन मत प्रचलित था। यजुर्वेद में तीन तीर्थंकरों के नामों का उल्लेख है ऋषभदेव, अजितनाथ एवं अरिष्टनेमि / भागवत पुराण इस बात का समर्थन करता है कि ऋषभ जैन मत के संस्थापक थे / 12 इस सन्दर्भ में कुछ विद्वानों के कथनों को भी यहाँ उल्लिखित किया जा रहा है।"१३ ___जी. आर. फरबांगे के अनुसार-“जैन धर्म की स्थापना शुरूआत कब हुई, इसका पता लगाना असम्भव है। हिन्दुस्तान के धर्मों में जैन धर्म सबसे प्राचीन है।" कर्नल टॉड का कथन है-“भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास में जैन धर्म ने अपना नाम अजर अमर रखा है।" हर्मन जैकोबी द्वारा ‘स्टडीज इन जैनिज्म' में लिखा गया है-“जैन धर्म एक मौलिक पद्धति है जो सभी धर्मों से नितान्त भिन्न है और स्वतन्त्र है इसलिये प्राचीन भारत के दार्शनिक विचार और धार्मिक अध्ययन के लिये इसका अत्यन्त महत्व है।" स. जेम्स हेस्टिंग्स का 'इंसाइक्लोपीडिया ऑफ रीलिजन एण्ड एथिक्स' में कथन है-“आध्यात्मिक चिन्तन के क्षेत्र में जैन धर्म अत्यन्त प्राचीन काल में यहाँ तक कि प्रागार्थ काल में प्रचलित था, जिसने भारत के प्राचीनतम दर्शनों सांख्य, योग और बौद्ध का उन्नयन किया।” ओ. पेर्टोल्ड ने 'द प्लेस एण्ड इम्पोर्टेन्स ऑफ जैनिज्म इन द कम्परेटिव सायंस ऑफ रिलीजंस' के अन्तर्गत कहा. है-“जैन धर्म एक बहुत पुराना धर्म है। विद्वान् स्नातक कठिनाई से यह अनुमान कर सकते हैं कि इसका मूल अत्यन्त सुदूर काल में भारत की प्रांगार्थ जाति के समय तक पहुँचता है।" . __ न्यायमूर्ति रांगलेकरे (बम्बई हाईकोर्ट) के अनुसार-“आधुनिक ऐतिहासिक शोध से यह प्रकट हुआ है कि यथार्थ में ब्राह्मण धर्म का सदभाव अथवा हिन्दू धर्म रूप में परिवर्तन होने के पहले, बहुत काल पहले जैनधर्म इस देश में विद्यमान था।"१४ - डॉ. ए. गिरनाट के कथनानुसार “जैनधर्म में मनुष्य की उन्नति के लिये सदाचार को अधिक महत्व प्रदान किया गया है। जैनधर्म अधिक मौलिक, स्वतन्त्र तथा सुव्यवस्थित है। ब्राह्मण धर्म की अपेक्षा यह अधिक सरल सम्पन्न एवं विविधतापूर्ण है और यह बौद्ध धर्म की तरह शून्यवादी नहीं है। मेजर जनरल फरलांग का मत है-“आर्य लोगों के गंगा तथा सरस्वती तक पहुँचने के बहुत पूर्व अर्थात् ईस्वी सन् से आठसौ-नौसौ वर्ष पहले होने वाले तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पूर्व बाईस तीर्थंकरों ने जैनियों को उपदेश दिया था। अन्त में वह इस परिणाम पर पहुँचते हैं कि जैनधर्म के प्रारम्भ को जानना असंभव है।१६ इसी मत का समर्थन करते हुए विद्यालंकार ने भी लिखा है “जैन धर्म बहुत प्राचीन धर्म है और महावीर से पहले तेईस तीर्थंकर हो चुके हैं, जो उस धर्म के प्रवर्तक या प्रचारक थे। जैन धर्म का इतिहास / 12 . .