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पार्श्वनाथका
चातुर्याम धर्म
त्रिषष्ठि-शलाका-पुरुष
जैनोंके दो प्रधान सम्प्रदाय हैं : श्वेताम्बर और दिगम्बर । ये दोनों सम्प्रदाय त्रिषष्ठी (६३) शलाकापुरुषोंको मानते हैं । प्राचीन कालमें विशेष निमंत्रित व्यक्तियोंको शलाकाएँ ( सलाईयाँ ) भेजी जाती थीं । उन शलाकाओं को दिखानेपर निमंत्रित स्थानमें प्रवेश मिलता था । ' इस पद्धतिपरसे चुने हुए पुरुषोंको शलाका-पुरुष कहने की प्रथा पड़ी होगी। जैनग्रंथों में ऐसे चुने हुए या प्रसिद्ध पुरुष ६३ बताये गये हैं । उनके नाम इस प्रकार हैं :
ऋषभ, अजित, संभव, अभिनन्दन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चन्द्रप्रभ, पुष्पदन्त, शीतल, श्रेयांस, वासुपूज्य, विमल, अनन्त, धर्म, शांति, कुन्थु, अर, मल्लि, सुव्रत, नमि, नेमि, पार्श्व और वर्धमान, ये २४ तीर्थंकर; भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार, शांति, कुन्थु, अर, सुभाम, पद्म, हरिषेण, जयसेन और ब्रह्मदत्त, ये १२ चक्रवर्ती;
' देखिए, विसुद्धिमग्गदीपिका २।२७