Book Title: Parshwanath ka Chaturyam Dharm
Author(s): Dharmanand Kosambi, Shripad Joshi
Publisher: Dharmanand Smarak Trust

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Page 93
________________ मूसाका पूर्वचरित्र जाकर मूसाने कहा, “ तुम अपने ही जातभाईको क्यों मारते हो?" उसने पूछा, “ तुम मुझसे पूछनेवाले कौन होते हो ! तुमने उस मिसरी आदमीको मार डाला, वैसे ही क्या मुझे भी मारनेवाले हो ?” मूसा जान गया कि उसकी कलई खुल गई है । जब फैरोको भी यह मालूम हो गया तो उसने मूसाको मार डालनेका इरादा किया । परन्तु मूसा वहाँसे भाग गया और मिद्यान प्रदेशमें जेथ्रो ( चित्रो ) नामक पुजारीके पास रह गया । पुजारीने अपनी लड़कीके साथ उसका ब्याह कर दिया और वह उस पुजारीकी भेड़ें चराकर अपना पेट भरने लगा। ऐसी स्थितिमें मूसाको यहोवा ( Jehovah ) का साक्षात्कार हुआ और वह अपने भाइयोंको मुक्त करनेके लिए मित्र चला गया । उस समय पहला राजा मर गया था और उसके स्थानपर दूसरा फैरो राज कर रहा था। मूसा अपने लेवी गोत्रके हारूनको साथ लेकर सीधा राजाके पास गया और उसने अपने यहूदी लोगोंको गुलामीसे मुक्त करनेके लिए कहा। परन्तु वह क्रूर राजा उन्हें छोड़नेको तैयार नहीं हुआ। तब यहोवाने मिस्री लोगोंपर अनेक आपत्तियाँ ढाईं । राजा डर गया और उसने यहूदियोंको अन्यत्र ले जानेकी इजाज़त मूसाको दे दी। मूसा अपने लोगोंको लेकर कनआनकी तरफ जा रहा था कि फैरोने उन्हें पुनः पकड़ लानेके लिए सेना भेजी; परन्तु यहोवाने लालसागरको चीरकर यहूदियोंके लिए मार्ग बना दिया और जब उनके पीछेपीछे शत्रुसेना वहाँ आ पहुँची तो समुद्रको मिलाकर उस सेनाको उसमें डुबो दिया । वहाँसे यात्रा करते करते मूसा और अन्य यहूदी लोग तूर (सिनाई ) पर्वतके पास गये। तब यहोवाने मूसाको पर्वतशिखरपर बुलाकर उल्लिखित दस आज्ञाएँ दीं। इसके बाद यहोवाने अनेक राज

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