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पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म
अमेरिकाकी खानें और अन्य व्यापार सभी हमारे हाथमें है । इसी प्रकार हम चीनका व्यापार अपने कब्ज़े में करना चाहते हैं और चाहते हैं कि सारी दुनियापर हमारा प्रभाव रहे। इसमें यदि तुम बाधा डालोगे तो डेमॉक्रसीके नामपर तुम लोगोंपर परमाणु बम गिरनेमें देरी नहीं लगेगी । जो कुछ धर्म है वह हमारी डेमॉक्रसी ( जनतंत्र ) में ही है । " - ऐसी डेमॉक्रसीसे सारे संसारके लोगोंको सावधान करना विचारकोंका कर्तव्य है ।
अस्तेय
यह तो सभी मानते हैं कि दूसरोंकी चीजें चुराना अथवा लूटना निषिद्ध है। चोर या लुटेरे अपनी करतूतका समर्थन नहीं कर सकते परंतु व्यापारियों द्वारा की जानेवाली लूट-खसोटकी बात ऐसी नहीं है । अधिकारियोंको रिश्वत देकर या अन्य उपायोंसे यदि कोई बहुत सी संपत्ति प्राप्त करता है तो सभी उसकी प्रशंसा करते हैं । अमेरिकामें ऐसे व्यक्तिको 'कैप्टन ऑफ इण्डस्ट्री' ( व्यवसायपति ) कहते हैं। और यदि यह व्यक्ति थोड़ा-बहुत दान-धर्म करे तो फिर उसकी स्तुतिकी कोई हद ही नहीं रहती । ऐसे समाजम अस्तेय व्रत कैसे आ सकता है ? व्यापार और सट्टा करके अगर होशियार लोग पैसा कमाने लगे और दूसरे लोग उनकी तारीफों के पुल बाँधने लगें, तो वह समाज कभी अस्तेयती नहीं बन सकता । इस व्यापारके लिए असत्य अवश्य चाहिए और जब परिग्रह ही न करना हो तो व्यापारकी ज़रूरत ही क्या है ? एक बार परिग्रह हो जानेपर उसकी रक्षाके लिए हिंसा ज़रूर चाहिए। और वह आसानीसे की जा सकें, इसके लिए डेमॉक्रसी जैसे ढोंग करने चाहिए। अर्थात् स्तेय एवं असत्य से परिग्रह आता है और परिग्रहकी