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पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म
कुरबान कर दिया। (Judges 11. 34-39) 'झूठी गवाही मत दो'- इसका अर्थ भी यही है कि यहूदीको दूसरे यहूदीके विरुद्ध झूठी गवाही नहीं देनी चाहिए। परंतु दूसरे राजमें गुप्तचरोंको भेजकर उस राजको हड़प लेनेमें कोई हर्ज नहीं है । जोशुआने जेरिको जीतते समय इस चालको अपनाया था । (Judges 2 ) ' चोरी मत करो'- का अर्थ भी यही था कि यहूदीकी चीजको दूसरा यहूदी न चुराए । पर दूसरे राज्योंको जरूर लूटे । और लूटनेपर मिलनेवाली लूटका बँटवारा कैसे किया जाय, यह स्वयं यहोवाने ही बता दिया है (Numbers 31, 26-30 ) और उसमें कुछ हिस्सा यहोवाका भी है। 'व्यभिचार न करो' का अर्थ भी यही है कि एक यहूदी दूसरे यहूदीकी स्त्रीके साथ सम्बन्ध न रखे । पर अन्य देशोंकी जवान लड़कियोंको उनकी अनुमतिके विना आपसमें बाँट लेनेके लिए यहोवाकी इजाज़त है। ( Numbers 31, 18) सारांश, ये सारे नियम अथवा आज्ञाएँ यहूदी लोगोंके आपसी व्यवहारके लिए हैं । औरोंको मारना, लूटना, उनकी स्त्रियोंको भगाना आदि सभी बातें क्षम्य ही नहीं बल्कि कर्तव्य हैं। अतः बाइबिलकी इन आज्ञाओंका पार्श्वनाथके चार यामोंके साथ मेल बैठना संभव नहीं है। ... मूसासे पहले और उसके समयमें जो छोटे-बड़े राज्य थे उनमें इस प्रकारके नियम थे ही। परंतु वे भगवान्के दिये हुए नहीं, बल्कि राजा या बादशाहके बनाये होते थे । मूसाने स्वयं ही ऐसे नियम बनाये होते तो यहूदी उन्हें न मानते, इसलिए यहोवाके नामपर ही सारे नियम बनाये गये हैं, ऐसा लगता है।