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पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म
वैसी हालत हिन्दुस्तान में हो जाय तो निःसंशय हिन्दुस्तानकी तरफ से सोवियत संघको भय उत्पन्न होगा । परन्तु कांग्रेस यदि सर्वथैव अपरिग्रहका ध्येय स्वीकार करे, तो यह भय रखनेका सोवियत संघके लिए कोई कारण ही नहीं रहेगा ।
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आसपास के राष्ट्रों पर हमला करके हमें अपने लिये उपनिवेश नहीं बनाने हैं। इतना ही नहीं बल्कि अपने ही देशमें हम ऐसे समाजका निर्माण करना चाहते हैं जिसमें कोई भी व्यक्ति परिग्रही या स्तेय (लूट) पर जीनेवाला नहीं होगा । परन्तु कोई ऐसा आग्रह न रखे कि यह समाज-निर्माण रूसी क्रान्तिकी तरह ही होना चाहिए । हमें विश्वास है कि सत्य और अहिंसा के मार्गसे वह किया जा सकेगा । हमारे सत्यअहिंसा के तत्त्व केवल स्वराज्य-प्राप्ति के लिए ही नहीं बल्कि सारे संसारका हित-साधन करने के लिए हैं । जब सोवियत नेताओं को यह विश्वास हो जायगा कि हम उनपर आक्रमण नहीं करेंगे, इतना ही नहीं बल्कि यदि अंग्रेज़ और अमरीकी पूँजीपति सोवियत के साथ लड़ाई शुरू कर देंगे तो उसे बंद करनेके लिए हम अपनी तरफ से भरसक कोशिश करेंगे, तो वे हमारी ओरसे ही नहीं बल्कि कुछ हद तक अमेरिकन एवं अंग्रेज़ पूँजीपतियोंसे भी निश्चिन्त हो जायेंगे । कांग्रेस, सोशलिस्ट और कम्यूनिस्ट मिलकर इस नीतिको अपनाएँगे तो पूँजीपतियों और सोवियत संघकी टक्कर में हमारे देशके फँस जानेका डर नहीं रहेगा । और यदि हम चातुर्यामके द्वारा सात्विक बल प्राप्त करेंगे तो इस टक्करको बिलकुल जा सकेगा ।
मुस्लिम लीगका क्या किया जाय ?
कांग्रेसियों, सोशलिस्टों और कम्युनिस्टोंमें जो त्यागवृत्ति है उसका लीग में नितांत अभाव है । मज़हब खतरे में' का शोर मचाकर वोट
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