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. पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म
. पाच
सोभित ५८ हाय ____९० हजार ४३ हजार (१) अनोमदस्सी ५८ १ लाख पदुम ५८, १, नारद ८, ९० हजार ४३ ,, पदुमुत्तर ५८ , १ लाख ४३ ,. सुमेध
९० हजार सुजात ५०, ९० , पियदस्सी अत्थदस्सी धम्मदस्सी सिद्धत्थ तिस्स पुस्स ५८, ९० हजार विपस्सी सिखी ७०, ७० , २४ , वेस्सभू ६०, ६०, ३० , ककुसंघ ४०, ४० , ३० , कोनागमन ३० कस्सप २० , २० ,, ४८ ,, (2) गोतम -" - "
४० , तीर्थंकरोंकी कथाएँ जिन ग्रंथोंमें मिलती हैं उनसे बुद्धवंश अधिक प्राचीन है । अतः पहले बौद्ध भिक्षुओंने ऐसी असंभाव्य दन्तकथाएँ लिखना शुरू की और उन्हें लोकप्रिय होते देख जैन साधुओंने उनसे भी आगे बढ़नेकी चेष्टा की होगी। इस प्रकारके असत्यकी होड़से बौद्धों
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