Book Title: Pakistanma Jain Mandiro
Author(s): Mahendrakumar Mast
Publisher: Arham Spiritual Centre

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Page 7
________________ हिन्दी आवृति प्रकाशकीय “एक-एक ईंट से बने भवन, एक-एक फूल से सजे चमन, तोड़ने में जिसको लगता एक पल, माँगता कितना समय उसका सृजन" नवनिर्माण अति कठिन है और विध्वंस अति सरल। शायद इसीलिए विरासतें विरल होती हैं। जब विरासतें विरल भी हों और वीरान भी, तो इतिहास का हिस्सा बन जाती हैं तथा पीढ़ी दर पीढ़ी सबक सिखाने का दम रखती हैं। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि निर्माण के लिए सजन-सजावट-अंगार के लिए. अमनोचैन एवं तरक्की के लिए तथा अपनी विरासतों का पूरा आनन्द लेने के लिए अहिंसा सबसे ज्यादा लाजिम है। जैन धर्म का मूल अहिंसा ही है और यही हमारी मान्यताओं, विचारों, क्रिया-कलापों और प्रवृत्तियों का आधार भी है। पाकिस्तान स्थित पुरातन जैन विरासतों की अस्मिता और विशिष्टता से संसार को रूबरू करवाने का मौलिक कार्य 'उजड़े दरां दे दर्शन' नामक शाहमुखी में लिखे ऐतिहासिक दस्तावेज़ की रचना का महान् कार्य सुप्रसिद्ध पाकिस्ताना लेखक जनाब इक़बाल कैसर जी ने किया है। प्रात:स्मरणीय श्रीमद् आत्म-वल्लभ-समुद्रइन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी म.सा. के वर्तमान पट्टधर गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरीश्वरजी म.सा. की पावन प्रेरणा एवं शुभाशिष से सुविख्यात लेखक एवं इतिहासज्ञ श्री महेन्द्रकुमारजी जैन 'मस्त' ने इसका संवर्धन और संशोधन करते हुए हिन्दी अनुवाद आत्मिक आह्लादपूर्वक किया है। पाकिस्तान स्थित ये वीरान विरासतें हमारे परमपरोपकारी गुरुवर आत्म (जैनाचार्य श्रीमद् विजयानन्द सूरीश्वर जी) और गुरुवर वल्लभ (जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर जी) के जीवनकाल, विचारधारा एवं उपकारों तथा जैन इतिहास के अनेक विद्वज्जनों से जुड़ी हैं, अतएव हमारे लिए पूजनीय भी हैं और प्रिय भी। सन् 1962 में गुजरांवाला पाकिस्तान से लाए गए आत्म-वल्लभ ज्ञान भंडार एवं समय-समय पर विभिन्न स्थानों से आए असंख्य जैन ग्रन्थों को, बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संभालने का गौरव 'श्री वल्लभ स्मारक जैन मंदिर तीर्थ' को हासिल है। प्रात:स्मरणीय गुरु वल्लभ की पावन स्मृति में इस स्मारक मंदिर का निर्माण एक विविध लक्ष्यी प्रकल्प के रूप में 1989 में हुआ था जिसका संचालन श्री आत्मवल्लभ जैन स्मारक शिक्षण निधि द्वारा किया जाता है। अत: 'वीरान विरासतें' ग्रन्थ का प्रकाशन हमारा पुनीत कर्त्तव्य भी है और अधिकार भी। इन विरासतों से जुड़ी तमाम धार्मिकता, नेकी, अहिंसा, विश्व-शांति और विश्व-कल्याण की चाह इस अति महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ रूप नवप्रकाशन 'वीरान विरासतें' के माध्यम से जग जाहिर हो, इसी मंगलकामना सहित। . विनीत - श्री आत्म-वल्लभ जैन अखिल भारतीय श्री आत्म-वल्लभ स्मारक शिक्षण निधि जैन महासंघ ट्रस्ट सायरचन्द नाहर राजकुमार जैन एनके नरेन्द्रकुमार जैन राजकुमार जैन ओसवाल अशोक जैन अध्यक्ष चेयरमेन (Emeritus) सेक्रेटरी जनरल अध्यक्ष महामत्री Summmmmmmmmmmm (VI) manummmmmmm

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