Book Title: Nandanvan Kalpataru 2009 00 SrNo 22
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 16
________________ श्रीपार्श्वनाथस्तुत्यष्टकम् अज्ञातनामा विद्वान् * (शिरवरिणी च्छन्दः) महाराजवाजप्रणतिरतिलोलाड़ितशिरोमणिवातच्छायाञ्चितचरणपढेरुहयुगः । महामोहध्वान्तप्रशमनपटिष्ठः सुकृतिनामसौ पार्थस्वामी दिशतु विमलां मोक्षपदवीम् ॥१॥ कृपापारावारः प्रणतजनदुःखौघगहनप्रणाशे दावाग्निः श्रुतिपथगतः शुद्धचरितः । नमलोकस्वान्ते तनितसुखसङ्घः प्रभुवरो ह्यसौ पार्श्वस्वामी दिशतु विमलां मोक्षपदवीम् ॥२॥ पितुः सेनादवादलभत जनुभूपतिलकादवामाद् वामाया भुवनजयिनो गर्भकुहरात् । नमस्यायां कस्यां सकलजननेत्रोत्सवकरः सदा पार्श्वस्वामी दिशतु विमलां मोक्षपदवीम् ॥३॥ विधेः काठिन्येन प्रबलतररेखाजनितया विपद्वल्ल्या शश्वत् परिभवशतैर्बाधितवताम् । जनानामुद्धर्तुं य इह शरणो भक्ति भजतामसौ पार्थस्वामी दिशतु विमलां मोक्षपदवीम् ॥४॥RORA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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