Book Title: Nandanvan Kalpataru 2006 00 SrNo 17
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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देववन्दनदशकम्
द्रष्टा य आदिरिहवेदचतुष्टयस्य,
स्मर्ता य आदिस्थ सर्वपुराणकानाम् ।
डॉ. आचार्यरामकिशोर मिश्रः २९५/१४, पट्टीरामपुरम् खेकड़ा - २०११०१ (बागपत) उत्तरप्रदेश:
(१)
स्रष्टा य आदिजनकोऽस्ति चराचराणाम्, ब्रह्मा महान् स इति तं शिरसा नमामि ॥१॥
पीताम्बरं कमलनाभमुपेन्द्रदेवं,
(२)
नारायणं प्रियसुरं कमलापतिं च । वैकुण्ठनाथमधुना यमहं स्मरामि,
यः कथ्यते गरलवेगहरस्त्रिशूली,
विष्णुर्महान् स इति तं शिरसा नमामि ॥२॥
(3)
स्थाणुः शिवः पशुपतिश्च स चन्द्रमौलिः । वन्दे वसन्ततिलकेन हि यं गिरीशम्,
शम्भुर्महान् स इति तं शिरसा नमामि ॥३॥
(8)
भानुं दिवाकरमहःपतिमुष्णरश्मि, मित्रं सहस्रकिरणं दिवसेश्वरं च ।
प्रद्योतनं दिनमणिं यमहं भजामि,
सूर्यो महान् स इति तं शिरसा नमामि ॥४॥
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