Book Title: Nandanvan Kalpataru 2006 00 SrNo 17
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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लिकाचतुष्टयम्
गलज्जलिका
प्रा. मिश्रोऽभिराजराजेन्द्रः BY
(पूर्वकुलपतिः) शन्नो निवास, टीचर्स कॉलोनी लोअर समर हिल, शिमला - १७१००५
(१) रक्तं समेषां कथं शोणितम् ? काफिरा एव चेत्तुर्क भिन्ना जनारतर्हि रक्तं समेषां कथं शोणितम् ॥१॥
नो विवेकोदयो लक्ष्यते कुत्रचित्
हन्त जातं जगन्मौढ्यसम्मोहितम् ॥२॥ एक एवेश्वरश्चेन्मतस्साक्षिकः नाम कस्मात् त्रयं प्रोच्यते कल्पितम् ॥३॥
पोप-मुलादयः किन्न तत्त्वं विदुः
भाति सत्यं तथाऽपीदमश्रावितम् ॥४॥ युध्यते चेदयोध्यं समाराधितुम् हन्त चित्रं कियन्नो जगलज्जितम् ॥५॥
मित्रभूतानरीकृत्य युद्धोद्यमः
केन धर्मेण वर्मेदमुद्भावितम् ?? ॥६॥ चेष्टितं यद्धि म]तरप्राणिनाम् मानुषाणां न धात्रा कथं तत्कृतम् ?? ॥७॥
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