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... जनधर्म सम्बन्धी आचार के नियमों का; तथा दार्शनिक मान्यताओं का मर्म तब तक समझ में नहीं आसकता जब तक यह न मालूम हो कि महावीर के जीवन में वे कौनसी घटनाएँ थीं जिनसे प्रेरित होकर उन्हें ये नियम बनाना पड़े । सौभाग्य - से जैन साहित्य महावीर जीवनसम्भन्धी ऐसी अनेक घटनाएं मिलजाती है। बहुतसी नहीं मिलती । जो मिलती है उन्हें मैंने इस अन्तस्तल में स्पष्ट किया है । और उनका कार्य कारणभाव बताया है। जो नहीं मिलती उनमें से कुछ को सम्भावना और मनोविज्ञान के आधार पर चित्रित किया है । इससे यह बात साफ होजाती है कि जैनधर्म म. महावीर के जीवन की फैली हुई छाया है और महावीर जीवन जैनधर्म का मूर्तिमन्तरूप है । अन्य किसी भी जैन शास्त्र को पढ़ने की अपेक्षा इस अन्तस्तल को पढ़ने से पाठकों को इस सम्बन्ध का अधिक ज्ञान होगा । जैन मान्यताओं की उपपत्रि यहां काफी स्पष्टता से बताई गई है।
४- अन्तस्तल --- ... ..
__ इस पुस्तक में संशोधित किया हुआ पूरा महावीर जीवन और जैनधर्म के खासखास आचार-विचारों का अच्छा. . परिचय देदिया गया. है । परन्तु यही इस पुस्तक की विशेषता नहीं है । विशेषता यह भी है कि सब बातें म. महावीर के शब्दों में उनके अन्तस्तल के चित्रों में बताई गई हैं। यह काम जितना कठिन है उतना ही दिलचस्प भी है। .
महामानव की भावनाओं को समझना कठिन है। फिर ढाई हजार वर्ष पुराने महामानव को समझने में तो और भी कठिनाई होना चाहिये । पर सौभाग्य इतना है कि म. महावीर के जीवन की घटनाएँ तथा उनके सिद्धांत विचार चर्या बोलचालका ढंग आदि जानने की सामग्री इतनी भरी पड़ी है कि