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अनुवादककी भूमिका ।
यह प्रस्तुत पुस्तक गुजराती भाषांके प्रसिद्ध लेखक श्रीयुत् सुशीलकृत महावीर जीवन विस्तारका स्वतंत्र हिन्दी अनुवाद है और इनसे हमारे समाजका प्रत्येक व्यक्ति परिचित है। आपकी जन्मभूमि काठीयावाड़ में है और आप गुजराती भाषाके अच्छे लेखक हैं आपने कई पुस्तकें गुजराती में लिखी हैं
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यह पुस्तक अच्छी शैलीसे लिखी गई है और मुके जीवनकी हरएक घटना पर सारगर्भित विवेचन किया गया है इतना ही नहीं परन्तु सर्व घटनाओंके मर्म को साफ दिखा दिया है। इसमें जो विषय और घटनाएं ली गई है वे उत्तमता से प्रदर्शित की गई हैं. कि. पढ़ते समय उस घटनाका चित्रसा सामने खड़ा हो जाता है । यह असंभव है कि प्रभुके कष्टोंके वर्णनको पढ़कर पढ़नेवालोंके नेत्रोसे अनलकी धारा न बह निकले । इसके पढ़ने से पाषाण हृदय भी पीगलकर मोमसा हो जायगा ।
इस परसे पाठकगण अनुमान कर सकते हैं कि ऐसी उत्तम पुस्तकको हिन्दी भाषामें प्रकाशित करनेकी कितनी आवश्यकता थी । इस आवश्यक्ताकी पूर्तिके अर्थ मैंने इसका हिन्दी अनुवाद तैयार किया है । यदि हिन्दी और हिन्दी भाषाभाषी मनुष्योंकी
इस पुस्तकसे कुछ लाभ पहुँचा तो मैं अपने श्रमको सफल समझँगा ।
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ताराचंद्र दोसी ।
आबूरोड़ ता० १९-६-१८.
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