Book Title: Mahavira Jivan Vistar
Author(s): Tarachand Dosi
Publisher: Hindi Vijay Granthmala Sirohi

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Page 34
________________ [१२] f t जिसका वियोग एक समय होनेवाला है उसका त्याग महात्माजनों के हृदमें उटी शान्ति देता है । क्योंकि ऐसा करने में मात्र, भविष्य में आनेवाली आपत्तियोंका परिहार उसी क्षण ही करते हैं । जो देना है वह समय पर देना ही पड़ता है महापुरुप उसको शीघ्र देना शुरू कर उसके कर्जसे छूट जाते हैं। इस 'मिट्टीकी खोली पर चढ़े हुए पुद्गलका सुन्दर और मनोरम दीखनेचाला सुन्दर रंग उनको दृष्टिको किसी प्रकार रागवश नहीं कर • सकता । 1 प्रमुका दीक्षा महोत्सव देवो और मनुष्योने मिलकर मनाया. था । चारित्र गृहण करने पर उन्हें मनः पर्याय ज्ञानकी प्राप्ति हुई। यी । दीक्षा प्रश्चात् बारह वर्ष पर्यन्त प्रभुने ऐसे २ असह्य परीषहाँको कि जिसकी स्मृति मात्र ही कठिन से कठिन हृदयोंको द्रवित कर देती है सहन किये थे । ज्यों २ आत्मा मुक्तिकी और बढ़ता जाता है । त्यों २ संचित कर्मोंका उदय शीघ्र तथा तीव्रतर होता जाता है जिस प्रकार चलते हुए व्यापारको बंद करनेवाले व्यापारीसे उसके लेनदार तकाजा पर तकाजा लगा अपना लेना वसूल करने लगते हैं उसी प्रकार मोक्षाभिमुख आत्मासे उसके पूर्वोपार्जित कर्म एक साथ फल देकर अपना २ हिसाब चुकता - करनेको तत्पर हो जाते हैं । मोक्ष पथ विहारी आत्माको अनेकवार असाधारण संकट उठाने पड़ते हैं । धम्म के घर धाड' यह प्रचलित लोकोक्ति भी अनेकवार उनके जी-बनमें चरितार्थ होती है इसका भी यही हेतु है । मोक्ष मार्गानुगा .

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