Book Title: Mahavira Jivan Vistar
Author(s): Tarachand Dosi
Publisher: Hindi Vijay Granthmala Sirohi

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Page 116
________________ शीघ्र नाम लिखा दो ! शीघ्र नाम लिखा दो!! . मानव धर्म संहिता अन्य। यह ग्रन्थ जैन समाजमें बहुत मान प्राप्त कर चुका है और 'जितनी फदर वर्तमान ग्रन्थोंमें इसकी हुई है और किसीकी नहीं हुई। इसको हरएक मनुष्य अपने पास रखना चाहता है। यह ग्रन्थ एकवार प्रकाशित हो चुका है और इसकी सन कोपियें बिक चुकी हैं। लोग इस अन्यको बड़े चावसे चाहते हैं और इसकी पुरानी कोपी खरीदनेके लिये दश २ रुपये देनेको तेयार होजाते हैं परन्तु उनको पुरानी कोपी नहीं मिलती। वे लाचार होकर हमारे मंडलको इसकी पुनरावृत्ति करनेको वारम्वार अनुरोध करते हैं। क्यों न हो, यह उन महात्माका लिखा ग्रन्थ है जिनसे सर्व लोग परिचित हैं। इन महात्माका नाम न्यायभोनिधि शान्त मूर्ति मुनिराज शान्तिविजयजी महाराज हैं। आप अच्छे वक्ता तथा तत्वज्ञ हैं। ऐसे महात्माओंके उत्तम ग्रन्थोंकी पुनरावृत्ति हमारा मंडल करे। यह इसके लिये कम सौभाग्य नहीं है। मंडलका सदा यही उद्देश होना चाहिये कि जिससे जन समाजमें विशेष 'लाम हो वैसे ग्रन्थोंको प्रकाशित करें। अन्य बड़ा है पहिले यह जिस समय छपा था उस समय कागजका भाव डेढ़ आने रतल था आज उसी कागजका भाव दश आना रतल है तो भी हम इस उत्तम ग्रन्थको प्रकाशित करनेको तैयार हैं। अच्छे कांगजों पर पक्के पुढेमें सुनेरी अक्षरों सहित सुन्दर अक्षरों में तैयार होगा। मूल्य इसका रु ५-०-०से अधिक न होगा। इसके दो हजार ग्राहक होनेपर पुस्तक प्रकाशित होगी। • सैक्रेटरी-जैन ज्ञानप्रसारक मंडल, सिरोही।

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