Book Title: Mahavira Jivan Vistar
Author(s): Tarachand Dosi
Publisher: Hindi Vijay Granthmala Sirohi

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Page 117
________________ सुपत ! मुफ्त !! , मुफ्त !! জ্বাহি ( एक सद्गृहस्थ धर्मात्माकी ओरसे सर्व साधारणको मुफ्त) जो कि आज तक यूरोप आदि देशोंसे आता था परन्तु अभी वर्तमान लड़ाईके कारण इसको हम वहाँसे नहीं प्राप्त कर सके। अतएव एक धर्मपरायण सद्गृहस्थने वैसा ही साापरिला यहाँपर तैयार कराया है। इससे हर प्रकारके खुनका विगाड़ सुधर सकता है / फोड़े, पुंसी, दाद आदि एक बोतल भर पीनेसे जाते रहते हैं। हम अभी उस सद्गृहस्थकी ओरसे इसको छ महीने तक अपने हिन्दुस्तानी भाइयोंको विना कुछ लिये जितनी तादादमें वे चाहेंगे उतनी भेजेंगे परन्तु छ बोतलसे अधिक न भेजेंगे। सिर्फ खाली बोतलकी कीम्मत और पोटेज खर्च मंगानेवालेके जीम्मे रहेगा। पता:-ताशचंद्र दोसी एम० टी० डी० आबूरोड़। (एक सद्गृहस्थ धर्मात्माकी ओरसे सर्वसाधारणको मुफ्त) कितना पुराना दर्द क्यों न हो और उसमें पीप क्यों न बहता हो इसके एक अथवा दो दफाके सेवनसे पीप आदि सर्व प्रकारके कानके रोग नाश होजाते हैं एक पुडीया डाक खर्चके एक आनाके टिक्ट भेजनेसे भेजी जायगी। ___ पताः-ताराचंद्र दोसी एम० टी० डी० आबूरोड़।

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