Book Title: Mahavira Jivan Vistar
Author(s): Tarachand Dosi
Publisher: Hindi Vijay Granthmala Sirohi

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ श्रीमहावीर जीवन-विस्तारा स शासन चक्रके कि जिसने महायोगीके योग सामर्थ्यकी प्रारम्भिक प्रेरणाओंसे अपनी गति प्राप्त की है; जो चौबीससौ वर्षसे बराबर अनेक भाग्यशाली जीवोंके उद्धारका निमित्त हुआ है; और जो अनेक जीवोंको श्रद्धा, श.न्ति और आश्वासन दिला रहा है और भविष्यगें भी अपनी गतिके अवशेष वेग तक अनेक जीवोंको परम पद मार्ग प्रदर्शन कराता रहेगा उसके आय दृष्टा परमयोगी सिद्धार्थकुल मुकुट श्री महावीर प्रमुको इस कार्यके आरंभमें त्रिकरण योगसे साष्टांग प्रणति परंपरा समर्पण करता हूँ। प्रायः देखा गया है कि महापुरुषोंके जन्मके सम्बन्धमें उनके अनुयायी लोग पीछेसे कई अश्रद्धेय बातें मिला देते हैं। जिसस क्राइस्ट, कृष्ण, महावीर इत्यादि धर्म प्रवर्तकोंके जन्मकी वातोंके आसपास उनके भक्तोंने श्रद्धाके वशीभूत होकर एक ऐसा अद्भत वातावरण खड़ा कर दिया है कि जिसको यह बुद्धिवादका जमाना कभी सत्य माननेको तैयार नहीं है । जिसके लिये लिखा है कि वह मेरी नामकी कुंवारी लड़कीके पेटसे पैदा हुआ था। जन्मके साथ कृष्णका शरीर दैवी सहायसे ऐसे स्थानमें पहुंचा दिया गया था, कि जहां पक्षीका प्रवेश भी असंभव था। इसी तरह महावीर स्वामीके सम्बन्धमें भी शास्त्रों में लिखा है कि, देवानंदा ब्राह्मणीके उदरमेंसे महावीरके गर्भ-शरीरको हरिणगमेषी नामक देवताके द्वारा हरण करवाकर सौधन इक्षावासद्धार्थ रानाकी

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117