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. तीर्थंकरों के अवतरित होने के कारण : - आवश्यकता आविष्कार की जननी है । इस न्यायानुसार मार्ग-भ्रष्ट, सत्रस्त, उन्मार्गगामी, मनुष्यों के मार्ग प्रदर्शन करने के लिये जनकल्याण, जनउद्धार, साम्यवाद की स्थापना करने के लिये क्रान्तिकारी युगदृष्टा महामानव तीर्थंकर जन्म लेते हैं। जैन रामायण, 'पद्मपपुराण' में महर्षि रविषेणाचार्य बताते हैं कि
आचारेण विघातेन कुदृष्टिनां च संपदा ।
धर्म ग्लानि परिप्राप्तामुच्छ्यन्ते जिनोत्तमाः ॥ 206॥ जब आचार-विचार, नैतिक आचार-शिष्टाचार आदि का अवमूल्यन (पतन) होता है, घात होता है, मिथ्या-पाखण्डी ढोंगी, दम्भी, आततायियों की श्री सम्पत्ति, विभूति, शक्ति वृद्धि होती है तब सत्य, अहिंसा, प्रेम, मैत्री, करुणा, धर्म के संस्थापक युगदृष्टा, महामानव तीर्थंकर उत्पन्न होते हैं और शाश्वत सत्य, अहिंसा, धर्म का उद्धार करते हैं। . गीता में भी युग पुरुषों के अवतार के विषय में निम्न प्रकार कारिका दिया
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थान मधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ 6 ॥ परित्राणाय साधूणां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युग-युगे ॥ 8 ॥ हे भारत ! धनुर्धर अर्जुन ! जब-जब धर्म मन्द पड़ जाता है, अधर्म का जोर बढ़ता है तब-तब मैं जन्म धारण करता हूँ। साधु, सज्जन, धर्मात्माओं की रक्षा, दुष्टों के निवारण-नाश तथा धर्म का पुनरुद्धार करने के लिये युगों-युगों में जन्म लेता हूँ।
___'सच्चिदानंद स्वरूप नित्य' निरंजन, अविकारी, सिद्ध, शुद्ध, परमात्मा जन्मजरा मरण से रहित होने के कारण जन्म ग्रहण नहीं करते हैं। परन्तु भविष्य में मोक्ष जाने वाले अर्थात् भावी शुद्ध परमात्मा स्वर्ग से अवतरित होकर धर्म प्रचार करते हैं, अधर्म का विनाश करते हैं । वे इसी अपेक्षा, भगवान का अवतार होते हैं मानना चाहिये; इसी को जैन धर्म में गर्भ-जन्म कल्याणक कहते हैं।
- तीर्थंकर बनने का उपाय तीन लोक में अद्वितीय महान धर्म-क्रान्तिकारी तीर्थंकर पद किसी की कृपा, आशीर्वाद, वर, प्रसाद से प्राप्त नहीं होता। इस पद के लिये महान पुरुषार्थ, विश्व मंत्री, विश्व-प्रेम, सर्व जीव हिताय सर्वजीव सुखाय की महान उद्धार भावना की परम आवश्यकता होती है। महान पवित्र उदात्त 16 प्रकार की भावनाओं एवं उज्जवल जीवन के द्वारा कोई विरल पुण्य श्लोका महामानव इस तीर्थकर पद प्राप्त करने के लिये समर्थ होता है । भव्यात्मा सम्यग्दृष्टि साधक आत्म साधन के माध्यम से भगवद् पद को प्राप्त कर सकता है। परन्तु तीर्थंकर पद को प्राप्त करने के लिये विश्व के