Book Title: Kranti Ke Agradut
Author(s): Kanak Nandi Upadhyay
Publisher: Veena P Jain

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Page 128
________________ [ 107 ] अचल नामक रुद्र का कुमार काल बीस लाख वर्ष, इतना (20 लाख वर्ष) ही संयम काल और तप-भ्रष्ट काल भी इतना ही है । वासा सोलस-लक्खा, छावट्ठि सहस्य छ सय छावट्ठी । पुंडरीयस्स ॥1471॥ पतेयं कोमार-भंग - कालो, पुण्डरीक रुद्र का कुमार काल और भङ्ग-संयम काल प्रत्येक सोलह लाख छयासठ हजार छह सौ छयासठ वर्ष - प्रमाण हैं । वासा सोलस - लक्खा, छावट्ठि सहस्स-छ-सय-अड़सट्ठी । जिदिक्ख-गमण-काल-प्यमाणयं पुंडरीयस्स ॥1472॥ पुण्डरीक रुद्र के जिन दीक्षा गमन अर्थात् संयम काल का प्रमाण सोलह लाख छ्यासठ हजार छह सौ अड़सठ वर्ष कहा गया है । तेरस - लक्खा वासा, तेत्तीस - सहस्स-ति-सय-तेत्तीसा । अजियंधर- कोमारो, जिणदिक्खा-भंग - कालो य ॥1473 अजितधर रुद्र का कुमार और जिनदीक्षा भङ्गकाल प्रत्येक तेरह लाख तैंतीस हजार तीन सौ तैंतीस वर्ष प्रमाण कहा गया है । वासा तेरस लक्खा, तेत्तीस - सहस्स-ति-सय- चोत्तीसा । अजिधरस्य एसो, जिणिवं - दिक्खग्गहण - कालो ॥1474॥ तेरह लाख तैंतीस हजार तीन सौ चौंतीस वर्ष, यह अजितन्धर रुद्र का जिनदीक्षा ग्रहण काल हैं । वासाणां लक्खा छह, छासट्ठि-सहरुस छ-सय-छावट्ठी । कोमार-भंग - कालो, पत्तेयं अजिय-णाभिस्स ॥1475॥ अजितनाभि का कुमार काल और भङ्ग-संयमकाल प्रत्येक छह लाख छ्यासठ हजार छह सौ छ्यासठ वर्ष प्रमाण हैं । छल्लक्खा वासणं, छावट्ठि सहस्स-छ-सय- अड़सट्ठी । जिणरुव - धरिय-कालो, परिमाणो अजियणाभिस्स ॥1476॥ अजितनाभि का जिनदीक्षा धारण काल छह लाख छयासठ हजार छह सौ अड़सठ वर्ष प्रमाण हैं । वीरुसाणि तिष्णि लक्खा, तेत्तीस - सहस्स-ति-सय-तेत्तीसा । कोमार भट्ठ- समया, कमसो पीढ़ाल - रुद्दस्स ॥1477 ॥ पीठाल (पीठ) रुद्र का कुमार काल और तप-भ्रष्ट काल क्रमशः तीन लाख तैंतीस हजार तीन सौ तैंतीस वर्ष प्रमाण हैं । तिय- लक्खाणि वासा, तेत्तीस - सहस्स-ति-सय- चोत्तीसा । संजम - काल - पमाणं, णिद्दिट्ठ दसम - रुद्दस्स ॥1478॥ दसवें (पीठ) रुद्र के संयम - काल का प्रमाण तीन लाख तैंतीस हजार तीन सौ चौंतीस वर्ष निर्दिष्ट किया गया है ।

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