Book Title: Kranti Ke Agradut
Author(s): Kanak Nandi Upadhyay
Publisher: Veena P Jain

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Page 127
________________ [ 106 ] सत्तावीसं लक्ख छावट्ठि सहस्स छस्स - अन्महिया । - छाबट्ठी पुग्वाणि मीमावलि - भंग-तव- कालो ॥1462॥ भीमावलि रुद्र का भंग तप काल सत्ताईस लाख छयासठ हजार छह सौ छयासठ पूर्व-प्रमाण है । तेवीस पुव्व-लक्खा, छावट्ठि - सहस्र- छसव - छावट्ठी । जिदसत्तू - कोमारो, तेत्तिय - मेत्तो य भंग-तव- कालो ॥1463॥ जितशत्रु रुद्र का तेईस लाख छयासठ हजार छह सौ छयासठ पूर्व - प्रमाण कुमार काल और इतना ही भंग तप काल है । तेवीस पुव्व-लक्खा, छावट्ठि सहस्स छसय-अड़सट्ठी । एवं जिवसत्तू - रुद्दस्स संजय काल - पमाणं, 11146411 जितशत्रु रुद्र के संयम काल का प्रमाण तेईस लाख छयासठ हजार छह सौ अड़सठ पूर्व है । छावट्टी - सहस्सा, छवट्टम्भहिय छस्सयाई पि । पुव्वाणं कोमारो - विठ्ठ - कालो य रुहस्स ॥1465॥ तृतीय रुद्र नामक रुद्र का कुमार काल और विनष्ट- संयम काल छ्यासठ हजार, छह सौ छयासठ पूर्व प्रमाण है । छावठि - सहरसाई, पुवाणं छस्सयाणि अड़सट्ठी । गया है । संजम-काल- पमाणं, तइज्ज - रुद्दस्स णिद्दिट्ठ ॥1466॥ तृतीय रुद्र के संयम काल का प्रमाण छयासठ हजार छह सौ अड़सठ पूर्व कहा तेत्तीस - सहस्साण, पुव्वाणि तिय-सयाणि तेत्तीसं । व इसाणरस्स कहिदो कोमारो भग-तव- कालो ॥1467॥ वैश्वानर ( विश्वानल) का कुमार काल और भंग-तप-काल तैंतीस हजार तीन सौ तैंतीस पूर्व प्रमाण कहा गया है । तेत्तीस - सहस्साणि, पुव्वणि तिय-सयाणि चउतीसं । संयम-समय- पमाणं, वइसाल - णामधेयस्स 11146811 वैश्वानर ( विश्वानल) नामक रुद्र के संयम - समय का प्रमाण तैंतीस हजार तीन सौ चौंतीस पूर्व कहा गया है । अट्ठावीसं लक्खा, वासाणं सुपडठ्ठ-कोमारो । तेतिय- मेत्तो संजय कालो तव भठ्ठ- समयस्स ॥1469 ॥ सुप्रतिष्ठ का कुमार काल अट्ठाईस लाख वर्ष है, समय काल भी इतना (28 लाख वर्ष) ही है और तप-भ्रष्ट काल भी इतना ( 28 लाख वर्ष ) ही कहा गया है । बासाओ वीस - लक्खा, कुमार-कालो य अचल-णामस्स । तेत्तिय- मेत्तो संजय - कालो तव भट्ट- कालो य 1470

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